Wednesday 29 March 2017

मनसुख और एंटी रोमियो

काका परेशान सा मनसुख को ढूंढ रहे है।पीछे खलिहान और दालान सबी जगह देख लिया लेकिन मनसुख है कि दिख नहीं रहा।
काका ने आवाज लगाया - मंसुखवा अरे मंसुखवा कहाँ मर गया रे। काका जब नाराज होते है तो ये उनका आशीर्वाद होता है मनसुख के लिए। कोई आवाज न सुनकर वही पिछवारे में छाही में बैठ गए।
तभी थोड़ी देर में मनसुख वहीँ खेत की तरफ से लोटा हाथ में लिए हुए आते दिखा। दिन के आठ बज गए थे। शौंच आदि से निवृत होने का यह बहुत ही विलम्ब समय है। मनसुख को देखते ही काका की त्योरियां चढ़ गई। का रे तोहरो अब नया जमाना के हवा लग गया है कि। ई कौन सा समय है दिशा जाने का। मनसुख काका के इस रूप को देख थोड़ा सकपका गयालेकिन सँभालते हुए बोला- न काका अब तो शौचालय बनने वाला ही है सो कभियो जा सकते है ओही का अभ्यास कर रहे है और मुस्कुराने लगा।
काका-तोहरा अभी दिल्लगी सूझ रहा है। ई देख का आया है। काका ने हाथ में रखे लिफाफे को हिलाते हुए दिखाया। मनसुख अपने हाथ में रखे लोटा को राख से मांजते-मांजते पूछा। का है काका ई।
हम जो पढ़े होते तो तुमरे बाट निहारते खुदे नहीं पढ़ लेते। हमको का पता की इसमें का लिखा है।थोड़ा चिढ़ते हुए कहा।लेकिन वो डाकिया बाबू कह रहे थे की लखनऊ से आया है। शायद तोहरे साडू का है। अब तक मनसुख हाथ पेड धो चूका था।गमछे से हाथ मुह पोछते बोला कही उनकी बिटिया का ब्याह का न्योता तो नहीं है। काका-अब तू खुदे देख ले बोलकर लिफाफा मनसुख की ओर बढ़ा दिया।
मनसुख लिफाफा खोलकर पढ़ते पढ़ते थोड़ा गंभीर सा हो गया। काका-का रे सब कुछ ठीक है न।
मनसुख- हा काका गुड्डी का ब्याह है।
काका- ई तो बड़ा ख़ुशी के खबर है,लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे तू को ख़ुशी नहीं हुआ।
मनसुख-न काका अइसन कोनो बात नहीं है। हम सबको ब्याह में बुलाया है।
काका-वो तो बुलाइबे करेगा कब है ब्याह।
मनसुख- अगले हफ्ताह चार तारीख के।
काका-तब तो अभी समय है चल जा टिकेट कटा ला।
मनसुख- अभिये टिकेट काहे काका हम जाई काल में कटा लेंगे।
काका- अरे ई कोण बात हुआ मेहरारू भी जायेगी अइसन कैसे चल जाएगा।
मनसुख- न काका हम सोच रहे थे की अकेले चले जाए।
काका- तोरा दिमाग सठिया गया है कि। मेहरारू को छोड़ के जाएगा।सब का बोलेंगे। चल बचवन सब तो हमरे साथ रह लेंगे। हमरो मन लगा रहेगा।
मनसुख- न काका वो सब तो ठीक है लेकिन मेहरारू के साथ में लखनऊ जाये में थोड़ा डर लग रहा है।मनसुख कुछ झिझकते हुए बोला। तुम समाचार वामाचार पढोगे तब तो पता चलेगा।
काका-अरे कोनो तुम भाग के शादी कयो है कि जो तुमको डर लग रहा है। काहे का आता है समाचार में।
मनसुख- न काका वो योगी जी एंटी रोमियो स्क्वाड बना दिए है न, कही हम दोनों को साथे देख पुलिस वाला रोमियो समझ के बंद कर दे तो।
काका बड़े ध्यान से सुन रहे थे लेकिन उनके पल्ले कुछ पर नहीं रहा था।अब तक सूरज भी थोड़ा ऊपर चढ़ गया था। गमछे से पसीना पोछते बोले- ई रोमियो का होता है रे। मनसुख को समझ नहीं आ रहा था कि इसका क्या जवाब दे ,नजर नीचे करके बोला- ई जो लड़का सब लड़की को प्यार करता है उसको काका रोमियो कहते है। तो इसमें शरमाये वाला कौन सा बात है जो तू ऐसे नजर झुका लिया है, लगता है मेहरारू के संगत में तू भी मेहरारू बन गया है। मनसुख को काका का ये कटाक्ष बढ़िया नहीं लगा और तुरंत बोला-न काका अइसन कोनो बात नहीं है, लेकिन अगर हमको साथे देख के पुलिस वाला कुछो सबूत मांग बैठेगा तो हम का दिखाएंगे।
काका- लेकिन ई योगीजी रोमियो के पीछे काहे पर गए है। माना खुद ब्रह्मचारी है लेकिन जिसको प्यार व्यार हो गया है उसके पीछे काहे पर गए है। ई तो बढ़िया बात है न की सब एक दूसरे से प्यार करे।
मनसुख- काका प्यार तो ठीक है लेकिन उनका कहना है कि ये खुल्लम खुल्ला रोमांस ठीक नहीं है। काका के लिए रोमांस नया शब्द था चौंक कर हौले से पूछा- ऐ मनसुख ई रोमांस का होता है। चेहरे पर काका के कुछ रौनक सा छा गया। काका तुम हमेसा ई फालतू बात न करो, हमको न पता ई रोमांस के बारे में, वैसे तुम सब जानत हो बेकार में हमसे ठिठोली कर रहे हो।
मनसुख की इस बातो से काका कुछ गदगद हो गए और कहा- अरे लेकिन तू को कहे डर लग रहा है। तो मनसुख बोला-काका काले पेपर में दिया था कि एक मिया बीबी पार्क में बैठे थे उसको पुलिस ने रोमियो समझ के बंद कर दिया।
काका- अरे ई रोमियो का बहुते ख़राब आदमी था कि, अइसन का किया था तुम जानते हो।
अब काका की इन बातों से मनसुख को अपने ज्ञान बघारने का मौका मिल गया।आखिर वो भी सरकारी स्कूल से दसवीं पास था।
मनसुख- न काका रोमियो तो बड़ा भला लड़का था और उसकी जूलियट को बड़ा प्यार करता था। इसलिए प्यार करने वाले लड़के सबको रामियो कहते है।इसके आगे अब उसे और कुछ याद नहीं आ रहा था।
काका- बड़ा अजीब समय आ गया है।आजकल कोई एक दूसरे से प्यार नहीं करना चाहता, जहाँ देखो सब एक दूसरे को त्योरियां चढ़ा कर ही देखते है, फिर ये भोले भाले मासूम जिनको प्यार करने की उम्र है अगर इसको इस जुर्म में हवालात में बंद करोगे तो नफरते फैलेगी। मनसुख ध्यान से काका के बात को सुन रहा था और बोला इसलिए तो काका हम जाना नहीं चाहते।
काका- अरे ई सब अइसने कुछ पुलिस वाला के जबरदस्ती है।आजकल तो कोई काम नहीं करना चाहेगा और करबो करेगा तो अर्थ में अनर्थ लगा देगा। अरे योगीजी कुछ और कहे होंगे और ई सब कुछ और समझ बैठा है। तू चिंता मत कर अइसन अंधेर अभी नहीं है कि तू को मेहरारू के साथ देखके रोमियो समझ लेगा। तू अइसन तो कबुहो नहीं लगता है, जा अपना टिकट कटा ले।
मनसुख समझ नहीं पाया कि काका उसकी तारीफ कर रहे है कि ताना मार रहे है।लेकिन जबाब में गर्दन हिलाते उठके गुनगुनाते चल दिया।काका हौले हौले मुस्कुरा रहे थे।


Monday 20 March 2017

जोगीजी वाह ......

आज मनसुख के चेहरे पर मोती की तरह झलकता पसीना जैसे नाच रहा है। चारा काटने वाले मशीन को दे जोर जोर से घुमाते हुए अपने ही धुन में गुनगुना रहा है-
          योगी जी धीरे धीरे ,  ले लिये सी ऍम के फेरे
          योगीजी वाह योगी जी वाह....।।
काका वही बगल में अपना पुआल ओटियाने में लगे थे। मनसुख के हाव भाव को बहुत देर से देख रहे थे। का रे मंसुखवा का बात है ।अब तो होलियों ख़तम हो गया और अब तक फगुनी गाये जा रहे हो। काका के आवाज से लगा जैसे मनसुख के तल्लीनता में ब्रेक लग गया। मनसुख काटे हुए चारा को एक तरफ रखते हुए बोला- काका तुमको न दिन दुनिया का पहले पता था न अब रहता है।
काका- का रे अइसन का हो गया जो हमको नहीं पता है।
मनसुख- तुमको पता है योगीजी अब मुख्यमंत्री बन गए।
काका-  काहे नितीश कहा चले गए और शुशील मोदी कब योगी हो गए। चल तब कही से तारी ला बहुते दिन ससुरा बंद कर दिए।
मनसुख- काका तुम बस तरिये के चक्कर में रहो और हम अपने शुशील मोदी नहीं यू पी के योगी के बात कर रहे है।
काका- न रे हम भी नरेंद्र मोदीये सोच रहे थे का उ अब योगी बन गया। लेकिन कुछो है पुरे हिलाय दिया है। लेकिन उ योगी कब बन गया।
मनसुख ने अपना सर झटक कर अब इकठ्ठे घास को टोकरी में रखने लगा। काका फिर बोले-अरे बताओ तो।
मनसुख- तू को नहीं पता तो पूछो न का अंट शंट हिसाब लगा के बोल देते हो। हम यू पी के नये मुख्यमंत्री के बात कर रहे है। अब वहाँ के मुख्यमंत्री योगीजी हो गए है।
काका- अरे ई नाम के कोनो योगी है कि सचमुच के योगी है और योगी है तो मुख्यमंत्री कैसे बन गया। जाओ कही धुनि रामओ, भगवान का भजन गाओ।ई जोगी सबके अब का हो गया है।
मनसुख- काका ई योगिये है और सब कह रहे है कि ये उत्तम प्रदेश बना देगा। यू पी के हिला के रख देगा।
काका कुछ सोचने की मुद्रा में अपने सफ़ेद दाड़ी खुजलाने लगे और बोले- वैसे तो हमको ज्यादा नहीं पता, लेकिन अब तक धनबली, बाहुबली बाले नेता तो सुने थे लेकिन ई योगबली बाले नेतवन सब भी बहुत हो गए है। आखिर कुछ तो बदल रहा है। और ऐसा तो नहीं की हिलाय के चक्कर एक दूँ ठो खूटवा उखड़ जाए।
इस पर मनसुख भी कुछ सोचनीय मुद्रा में आ गया और
चारा मिलाकर गाय को देते हुए बोला हाँ काका कुछ तो बदल रहा है लेकिन का समझे में नहीं आ रहा है। बाकि तो वकते बताएगा कि खूंटा हिलेगा की मजबूत होगा।
काका- सुन बुड़बक अब तू ई चारा/वारा छोड़ और देख उ मंदिर के महंत है न उससे कुछ दीक्षा ले ले।
कहे काका मनसुख कुछ समझ नहीं पाया।
काका-। तू बुड़बक ही रहेगा।अरे का पता भगवान् के आरती करते करते कब भगवान् प्रसंन्न हो जाए।अपने यहाँ भी तुझे टिकट मिल जाए।अरे अभी तो पांच साल है।अब कुछ सोच ले।
मनसुख बिना कुछ बोले गुनगुना रहा था- योगीजी वाह योगीजी
कोई मांगे कुर्सी कोई मांगे टिकट
हम मांगे दो जून की रोटियां बस
योगीजी वाह योगीजी।।


आदिपुरुष...!!

 मैं इसके इंतजार में था की फ़िल्म रिलीन हो और देखे। सप्ताहांत में मौका भी था। सामान्यतः फ़िल्म की समीक्षा फ़िल्म देखने से पहले न देखता हूँ और न...